!! जोधा बाई अकबर की पत्नी नहीं थी !!
मुर्ख इतिहास तो यही कहता है कि जयपुर के राजा भारमल
की बेटी का विवाह मुगल शासक अकबर के साथ हुआ था किंतु
सच कुछ और ही है...!
वस्तुत: न तो जोधाबाई का विवाह अकबर के साथ
कराया गया था और न ही विदाई के समय जोधाबाई
को दिल्ली ही भेजा गया था. अब प्रश्न उठता है कि फिर
जोधाबाई के नाम पर किस युवती से अकबर का विवाह
रचाया गया था ?
अकबर का विवाह जोधाबाई के नाम पर दीवान वीरमल
की बेटी पानबाई के साथ रचाया गया था. दीवान वीरमल
का पिता खाजूखाँ अकबर की सेना का मुखिया था.
किसी बड़ी ग़लती के कारण अकबर ने खाजूखाँ को जेल में डालकर
खोड़ाबेड़ी पहना दी और फाँसी का हुक्म दिया. मौका पाकर
खाजूखाँ खोड़ाबेड़ी तोड़ जेल से भाग गया और सपरिवार जयपुर आ
पगड़ी धारणकर शाह बन गया. खाजूखाँ का बेटा वीरमल
बड़ा ही तेज और होनहार था, सो दीवान बना लिया गया. यह भेद
बहुत कम लोगों को ही ज्ञात था.! दीवान वीरमल का विवाह
दीवालबाई के साथ हुआ था. पानबाई वीरमल और दीवालबाई
की पुत्री थी. पानबाई और जोधाबाई हम उम्र व दिखने में
दोनों एक जैसी थी. इस प्रकरण में मेड़ता के राव
दूदा राजा मानसिंह के पूरे सहयोगी और परामर्शक रहे. राव दूदा के
परामर्श से जोधाबाई को जोधपुर भेज दिया गया. इसके साथ
हिम्मत सिंह और उसकी पत्नी मूलीबाई को जोधाबाई के धर्म के
पिता-माता बनाकर भेजा गया, परन्तु भेद खुल जाने के डर से
दूदा इन्हें मेड़ता ले गया, और वहाँ से ठिकानापति बनाकर
कुड़की भेज दिया. जोधाबाई का नाम जगत कुंवर कर
दिया गया और राव दूदा ने उससे अपने पुत्र का विवाह रचा दिया.
इस प्रकार जयपुर के राजा भारमल की बेटी जोधाबाई उर्फ जगत
कुंवर का विवाह तो मेड़ता के राव दूदा के बेटे रतन सिंह के साथ
हुआ था. विवाह के एक वर्ष बाद जगत कुंवर ने एक
बालिका को जन्म दिया. यही बालिका मीराबाई थी. इधर विवाह
के बाद अकबर ने कई बार जोधाबाई (पानबाई) को कहा कि वह
मानसिंह को शीघ्र दिल्ली बुला ले. पहले तो पानबाई
सुनी अनसुनी करती रही परन्तु जब अकबर बहुत परेशान करने
लगा तो पानबाई ने मानसिंह के पास समाचार भेजा कि वें शीघ्र
दिल्ली चले आये नहीं तो वह सारा भेद खोल देगी. ऐसी स्थिति में
मानसिंह क्या करते, उन्हें न चाहते हुए भी मजबूर होकर
दिल्ली जाना पड़ा. अकबर व पानबाई उर्फ जोधाबाई
दम्पति की संतान सलीम हुए, जिसे इतिहास जहाँगीर के नाम से
जनता है ! ..













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