#1

##

#2

##

#3

##

#4

##

#5

##

Showing posts with label Modi and religion. Show all posts
Showing posts with label Modi and religion. Show all posts

Wednesday, June 19, 2013

Question About Modi must Read



तर्क की कसौटी पर मोदी और मोदी विरोधी
--------------------------------------------
इस लेख के जरिए हम मोदी और मोदी विरोधियों से जुड़े कुछ
महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर ढूंढने की कोशिश करेंगे .
1. क्या नरेंद्र मोदी के विरोधी धर्मनिरपेक्ष हैं ?
2. नरेंद्र मोदी पंथनिर्पेक्ष/धर्मनिरपेक्ष हैं कैसे ?
3. क्यों बनाया जा रहा है मोदी को हीं निशाना ?
4. क्या हैं गुजरात चुनावों में नरेंद्र मोदी की हैट्रिक के मायने ?
5. केवल गुजरात दंगों की हीं बात क्यों होती है ?
6. क्या मीडिया का एक खास वर्ग और मोदी के

विरोधी मोदी के विरुद्ध माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं ?
1. क्या नरेंद्र मोदी के विरोधी पंथनिर्पेक्ष हैं ?
---------------------------------------------
किसी को पंथनिर्पेक्ष या साम्प्रदायिक मानने से पहले
आपको यह समझना होगा कि धर्मनिर्पेक्षता और
साम्प्रदायिकता किसे कहते हैं. हमें यह
समझना होगा कि किसी पार्टी में शामिल हर
व्यक्ति ना तो साम्प्रदायिक ( कट्टरपंथी ) होता है और
ना किसी पार्टी में शामिल हर व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष होता है.
यह कड़वी सच्चाई है कि “धर्मनिर्पेक्षता“ के नाम पर
भारतीयों को बेवकूफ बनाया जाता रहा है.
निर्पेक्षता का अर्थ होता है “निष्पक्षता”, मतलब कोई
व्यक्ति या पार्टी किसी व्यक्ति की जाति या धर्म देखकर
उसे ना कोई खास सुविधा/अधिकार दे और ना उससे कोई
सुविधा/अधिकार छीने. तो हम उस व्यक्ति/
पार्टी को निष्पक्ष मानेंगे. दूसरे धर्म के धार्मिक समारोहों में
शामिल होना या दूसरे धर्म के धार्मिक पहनावे को धारण
करना महज एक दिखावा है, जिसका उपयोग
बड़ी हीं चालाकी से किया जाता रहा है. जिसका उद्देश्य खुद
को निष्पक्ष साबित करना होता है. लेकिन खुद
को धर्मनिर्पेक्ष कहने वाले ये लोग/पार्टियाँ अलग-अलग
धर्मों और जातियों के लिए अलग-अलग योजनाएँ लाते हैं.
मतलब उन जाति/धर्म के लोगों को यह समझाने की कोशिश
की जाती है कि हम आपके धर्म/जाति के हितैषी हैं.
जबकि निष्पक्ष नेता अपने देश/राज्य की पूरी जनता के लिए
कोई योजना लाता है. किसी खास धर्म या जाति के लोगों के
लिए नहीं.
उपर्युक्त उदाहरण के अनुसार आप इस बात को खुद परख
सकते हैं कि मोदी के विरोधियों में कौन निष्पक्ष है और कौन-
कौन निष्पक्षता का ढोंग करता है ?
2. नरेंद्र मोदी पंथनिर्पेक्ष /धर्मनिरपेक्ष हैं कैसे ?
---------------------------------------------
मोदी ने एक पत्रकार के सवाल का जैसा जवाब दिया, वैसे
जवाब की उम्मीद हम आज की तारीख में किसी नेता से
नहीं कर सकते हैं. एक पत्रकार ने मोदी से सवाल किया,
“आपने अल्पसंख्यकों के लिए क्या किया ?”. मोदी ने जवाब
दिया, “मैंने अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया, क्योंकि मैं
अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक देखकर काम नहीं करता. मैं
गुजरात की जनता के लिए काम करता हूँ”.
2012 के गुजरात चुनावों में मुस्लिमबहुल क्षेत्रों से
भाजपा की जीत इस बात को साबित भी करती है कि गुजरात
में मोदी ने किसी खास धर्म या समुदाय के लिए काम
नहीं किया है. मोदी का विकास सबके लिए था, चाहे वो हिन्दू
हो या मुसलमान.
3. क्यों बनाया जा रहा है मोदी को हीं निशाना ?
---------------------------------------------
मोदी कुछ खास लोगों के निशाने पर होते हैं, क्योंकि कुछ लोग
इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर मोदी एक बार
प्रधानमंत्री बन गए तो उन्हें इस पद से
हटाना उतना हीं मुश्किल होगा, जितना आज की तारीख में उन्हें
गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से हटाना है. मतलब मोदी के एक
बार प्रधानमंत्री बनने के बाद विभिन्न पार्टियों के उन
सभी नेताओं के प्रधानमंत्री बनने
की महत्वाकांक्षा धरी की धरी रह जाएगी. जो खुद
को प्रधानमंत्री के पद में बैठा हुआ देखना चाहते हैं. और
इसी कारण से वे नेता हर प्रकार से मोदी को प्रधानमंत्री पद
तक कभी पहुँचने हीं नहीं देना चाहते हैं.
4. क्या हैं गुजरात चुनावों में नरेंद्र मोदी की हैट्रिक के मायने ?
---------------------------------------------
2012 के गुजरात चुनावों में कभी काँग्रेस यह कहती नजर आई
कि गुजरात में विकास हुआ हीं नहीं, तो कभी राहुल गाँधी यह
कहते नजर आए कि गुजरात के विकास का श्रेय मोदी ने ले
लिया जबकि इसका सेहरा आम गुजराती के सिर बंधना चाहिए.
मतलब कांग्रेस गुजरात के विकास
को कभी नकारती तो कभी मानती नजर आई.
केशुभाई पटेल और कट्टर मोदी विरोधियों के विरोध के बावजूद
मोदी ने स्पष्ट बहुमत प्राप्त कर यह साबित कर
दिया कि उनके विकास के काम के कारण जनता ने उन्हें वोट
दिया. अगर आज गुजरात विकास का पर्याय बना हुआ है
तो हम इसका श्रेय मोदी को देने के लिए मजबूर हैं.
सरप्लस बिजली, राजनीतिक स्थिरता, श्रमिकों की शांति,
बढ़िया प्रसाशन आदि कई ऐसे कारण हैं जिनके कारण बड़े-बड़े
औद्योगिक इकाइयों ने गुजरात में कदम रखना बेहतर समझा.
नैनो, फोर्ड की नई इकाई, मारुति सुजुकी, बाइक
कम्पनी हीरो मोटर्स, जनरल मोटर्स, फ्युजो नेस्ले,
हिताची जैसी औद्योगिक इकाइयों ने गुजरात में निवेश किया.
इन निवेशों का असर ये हुआ कि गुजरात ने विकास के नए
आयाम छुए और गुजरातियों को नए रोजगार आसानी से प्राप्त
हुए. पिछले एक दशक में गुजरात का विकास दर औसतन 10.5
रहा, जबकि इसी दौरान भारत का औसतन विकास दर 7.9
रहा.
5. केवल गुजरात दंगों की बात होती है ?
------------------------------------------
2002 के गुजरात दंगों के नाम पर आज भी मोदी को खलनायक
साबित करने की कोशिश की जाती है. लेकिन 2012 के असम
दंगों के लिए ना तो असम के मुख्यमंत्री को कटघरे में
खड़ा किया जाता है और ना घुसपैठियों को रोकने में असक्षम
होने की बात पर कभी मनमोहन सिंह को दोषी ठहराया जाता है.
और ना हीं किसी और दंगे के लिए
दोषी किसी नेता को कभी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश
की जाती है.
6. क्या मीडिया का एक खास वर्ग और मोदी के
विरोधी मोदी के विरुद्ध माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं ?
-----------------------------------------
इसका जवाब है, हाँ. क्योंकि मोदी के साथ खड़े होने वाले
व्यक्ति को सीधे साम्प्रदायिक साबित करने की कोशिश होने
लगती है. मोदी के समर्थन का मतलब है, खुद
को साम्प्रदायिक लोगों की सूची में शामिल कर लेना . और
विरोध करने का मतलब है, खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित कर
देना.
7. क्या प्रधानमंत्री बनने के योग्य हैं मोदी ?
--------------------------------------------
आज जब मनमोहन सिंह को एक कमजोर
प्रधानमंत्री कहा जाता है, तो हमें इस बात से इंकार
नहीं करना चाहिए कि हर गठबंधन सरकार का मुखिया मजबूर
होता है. और आज की तारीख में केन्द में गठबंधन सरकार के
अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आता है. ऐसे में मोदी एक
मजबूत नेता के रूप में नजर आते हैं, जो किसी के आगे मजबूर
नहीं होता है. जो अपने विरोधियों से निपटान अच्छी तरह
जनता है. मोदी उन अधूरे कामों को करने में सक्षम नजर आते
हैं, जिन्हें आजादी के बाद से आजतक विभिन्न पार्टियों के कई
बड़े नेता नहीं कर पाए हैं.
सरदार पटेल जैसे कद्दावर नेता की छवि आज केवल मोदी में
हीं नजर आती है. सरदार पटेल ने 563 देशी रियासतों को भारत
में शामिल किया था जबकि उनके बाद आजतक कोई
ऐसा नेता भी नहीं हुआ, जिसने आजादी के 60 से
भी ज्यादा वर्ष बीत जाने के बावजूद कश्मीर
समस्या का भी हल निकाल पाया हो. और जिसका नतीजा है
कि भारत को अपने सैनिकों की कुर्बानी आज भी देनी पड़ती है.
और आज भी कश्मीर समस्या भारत के लिए सिरदर्द बना हुआ
है. अगर इस मुद्दे को कोई हल कर सकता है तो वो कोई
मजबूत नेता हीं, और गठबंधन के इस दौर में मोदी के
अलावा किसी अन्य नेता में एक मजबूत नेता की छवि नजर
नहीं आती है. दूसरे नेताओं में केवल मजबूर
प्रधानमंत्री की छवि नजर आती है.
आजादी के इतने वर्ष बीतने के बावजूद आजतक भारत
की सीमाएँ सील नहीं की गई है. जिस कारण घुसपैठिए भारत में
आसानी से आते हैं और यहाँ के सुरक्षा में सेंध लगाते रहते हैं.
मोदी इस काम को भी करने में पूरी तरह सक्षम नजर आते हैं.
मोदी इसी तरह के मजबूत और बड़े फैसले लेने में सक्षम नजर
आते हैं. जो शायद कोई और नेता नहीं ले सकता है.

iamhinduism